बिकता है तू मस्ज़िद मंदिर में, ये देख मुझे डर लगता है !
माशूक़ है तू जिनके दिल का, उन्हें न बग़ावत हो जाए !!
-anonymous
बिकता है तू मस्ज़िद मंदिर में, ये देख मुझे डर लगता है !
माशूक़ है तू जिनके दिल का, उन्हें न बग़ावत हो जाए !!
-anonymous
जुस्तुजू जिस की थी उसको तो न पाया हमने !
इसी बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने !!
-shaharyar
दुश्मनी लाख सही, ख़त्म न कीजे रिश्ता !
दिल मिले या न मिले, हाथ मिलते रहिये !!
– nida fazli
सीधा साधा डाकिया, जादू करे महान!
एक ही थैले में भरे आसूं और मुस्कान!!
– nida fazli
कोई हिन्दू कोई मुसलमाँ कोई ईसाई है,
सब ने इन्साँ न बनने की कसम खाई है !!
-nida fazli
न फ़ित्र कोई न जुस्तजू है, न ख़्वाब कोई न आरजू है !
ये शक़्स तो कब का मर चूका है, तो बेकफन फिर ये लाश क्यों है !
-javed akhtar
मुझको यकीं है सच कहती थी जो भी अम्मी कहती थी !
जब मेरे बचपन के दिन थे, चाँद पे परियां रहती थी !
एक ये दिन जब अपनो ने भी हमसे नाताँ तोड़ दिया !
एक वो दिन जब पेड़ की शाखें बोझ हमारा सहती थी !
एक ये दिन जब सारीं सड़कें रूठी रूठी लगती है !
एक वो दिन जब आओ खेले सारीं गलियां कहती थी !
एक ये दिन जब जागी रातें दिवारों को तकती है !
एक वो दिन जब शामों को भी पलकें बोझल थी !
एक ये दिन जब ज़ेहन में सारीं अय्यारी की बातें है !
एक वो दिन जब दिल में सारीं भोली-भाली बातें थी !
एक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आसूं का !
एक वो दिन जब एक जरासी बात पे नदिया बहती थी !
एक ये घर जिस घर में मेरा साजो-सामाँ रहता है !
एक वो घर जिस घर में मेरी बूढी नानी रहती थी !
-javed akhtar
ये सर्द रात, ये आवारगी, ये नींद का बोझ !
हम अपने शहर में होते, तो घर गए होते !!
-benaam